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SHELTER HOME - SWADHAR GRAH

Since 1999, Mahila Samiti is managing Shelter Home for violence affected women. Women in distress are in our focus and we provide them congenial atmosphere to come out of trauma and prepare and support them to lead a better life.

We were having partnership with OXFEM to address the issue of women violence in 14 district of M.P. and U.P. During the project implementation we established the first shelter home for women in  Madhya Pradesh in the year 1999. The Name of Shelter Home was "नीड". Afterwards, Mahila Samiti themselves managed नीड Shelter Home till 2010.

Afterwards, the नीड converted into "ऊषा किरन" in the year 2010-11. The financial support was received from Ministry of Women and Child Development during this tenure.

In the year of 2017-18, the "ऊषा किरन" was converted in "स्वाधार" shelter home and we received Rs. 802000/- from Women and Child Development department of M.P. In the year 2018-19, we submitted  our proposal for renewal. The proposal was processed by women and child development department of Chhatarpur and recommended by district collector for its sanction. But it could not be sanctioned due to unknown reason.

Further, we submitted the audited utilisation certificate for the year 2019-20 and received the reimbursement. In the year 2020-21, the reimbursement is delayed and we are waiting for getting amount which we already spent to run the Swadhar Grah.

The women and their child living in Shelter Home are happy and they are leading happy life after leaving the shelter home. Mahila Samiti is bringing radical change in the lives of women who were in distress. These women confidently leading their lives in the main stream of the society after relieving from Swadhar Grah.

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SOME PHOTOS

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Gayatri Gau SanrakShan Evam Samvardhan Kendra

Location:

Village Budarakh Block Nowgong

District Chhatarpur Madhya Pradesh

India - 471001

Gaushala Land:   

Khasara No. 1759/1/1/1 Area: 1/2 Acres

Infrastructure:

- Cow Shed,

- Heifers Shed,

- Drinking Water Tank,

- Chaff Cutter,

- Straw Godown,

- Worker Residence

- Free Grazing Land: about 10 Acres.

Cow Family:

Breeding Bull (GIR)

Cows: 19

She Heifers: 16

He Heifers: 8

He Calves: 8

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पंचायत स्तरीय गौशाला का उद्देश्यपूर्ण संचालन

CONCEPT NOTE

 

वर्तमान स्थिति मेँ गौशाला से ग्रामीणो को लाभ प्राप्त नहीँ होता अत: ग्रामीणजन इससे नहीँ जुडते और सम्बंधित क्षेत्र की गायोँ भी उन्नत नहीँ होतीँ. गौशाला के निर्माण होने के बाद भी गौवंश सडकोँ पर पाया जाता है और फसलोँ को नुकसान करता है.

 

परन्तु गौशालायेँ ग्रामोँ के सतत विकास का साधन हो सकतीँ हैँ. उपरोक्त विषय पर हमारा निवेदन निम्नानुसार है.

 

  1. वर्तमान मेँ जो गौवंश गौशाला हेतु उपलब्ध है. उसमेँ दुग्ध उत्पादन को आधार नहीँ माना जा सकता. वर्तमान स्थिति मेँ और हमेशा से, स्थानीय देशी गौवंश की गौशाला का अंतिम उत्पादन गोबर ही है. अत: गोबर एवँ गौमूत्र से लाभप्रद उत्पादोँ पर विचार करना चाहिये.

  2. एक लाभप्रद योजना के लिये जरूरी है कि वर्तमान 100 गोवश हेतु गौशालायेँ बनाकर गौवंश को अलग अलग एवँ दूर दूर रखने के बजाय या तो गौवंश को एक बडी संख्या मेँ  एक ही स्थान पर रखा जाये या अभी मौजूद गौशालाओँ के क्लस्टृर बनाये जाये जो 4-6 पंचायतोँ  या 7-8 कि.मी. के एरिया मेँ बनाये जाये.

  3. एक लाभप्रद योजना के लिये जरूरी है कि एक ही स्थान पर या एक क्लस्टर मेँ 1500 से 2000 तक गोवंश हेतु गोशालायेँ होँ.

  4. इस तरह से प्रत्येक ब्लाक मेँ गोशालाओँ हेतु 4-5 क्लस्टर बनाये जा सकते हैँ.

  5. ग्रामोँ मेँ गोपालकोँ को संगठित कर उनका क्षमतावर्धन कर उनके द्वारा गौशालाओँ का संचालन करने से कमजोर एवँ वंचित ग्रामीणोँ की आमदनी को बढाया जा सकता है.

  6. बेस लाइन सर्वे कर के ग्राम के गोपालकोँ एवँ गोवंश का विवरण तथा ग्राम मेँ उपलब्ध गोचर अथवा चरनोई भूमि का विवरण शामिल किया जाना जरूरी है.

 

वर्तमान गौशाला योजना की जो परिकल्पना है. उसमेँ निम्न बिंदुओँ पर चर्चा कर महत्वपूर्ण निर्णय हो सकते हैँ.

 

  1. वर्तमान गौशाला के  डिजाइन को सुधारना जरूरी है. गौशाला खुली और हवादार होनी चाहिये और गौ वंश को घूमने हेतु पर्याप्त जगह होनी चाहिये.

    1. प्रति 100 गौवंश हेतु 40’ चौडी और 200’ लम्बी गौशाला हो.

    2. गौशाला के दोनो तरफ 40’ जगह गौवंश के घूमने हेतु हो.

    3. पीने हेतु स्वच्छ पानी की व्यवस्था हो.

    4. बछडे और बछडियोँ हेतु अलग जगह हो,

    5. दूध देने वाली गायेँ अलग रहेँ.

    6. भूसे का गोदाम पर्याप्त आकार का हो.

    7. हरे चारे की वर्ष भर उपलब्धि हेतु साइलेज यूनिट् हो.

 

  1. प्रत्येक गौशाला मेँ 400 क्यूबिक मीटर या अधिक क्षमता का गोबर गैस प्लांट हो.

    1. गौशाला के बायो गैस प्लांट की गैस का उपयोग निम्न हो सकता है.

      • कुकिंग गैस – मीथेन

      • विद्युत उत्पादन हेतु

    2. बायो गैस निकलने के बाद प्राप्त स्लरी एवँ पचे हुये गोबर का जैविक खेती मेँ उपयोग हो.

    3. गौमूत्र के आसवन की इकाई हो.

 

  1. गौशाला का संचालन ग्राम के गोपालकोँ का गोपालक संघ बनाकर किया जाये.

 

  1. गोपालकोँ मेँ 50% महिलायेँ होँ और इसके अलावा छोटे, सीमांत किसान एवँ भूमिहीन गोपालक होँ.

  2. गोपालक संघ की नियमावली हो.

  3. गोपालकोँ की क्षमतावर्धन की जबाबदारी हेतु संस्थायेँ आगे आयेँ. जैसे छतरपुर जिले मेँ महिला समिति ने परियोजना प्रस्तुत की है.

 

  1.  प्र्त्येक ग्राम मेँ गोचर एवँ चरनोई की भूमि शासन के रिकार्ड मेँ दर्ज है. ग्राम की चरनोई एवँ गोचर भूमि का सर्वे कर उनके 1 हेक्टर एवँ इससे बडे भूमि के प्रखंड को चिह्नित कर वह भूमि गौशालाओँ को दी जाये.

 

  1. गौशाला के संचालन हेतु राशि की व्यवस्था निम्नानुसार हो सकती है.

 

  • शासन द्वारा -आधारभूत संरचना

  • दान राशि

  • ग्रामीणजनोँ द्वारा राशि या भूसे की व्यवस्था.

  • यदि उद्देश्य मीथेन गैस पैदा करना है तो राशि

 

  1. स्वच्छ भारत अभियान से

  2. उज्जवला योजना से

 

  • यदि उद्देश्य सीएनजी पैदा करना है तो राशि निम्नानुसार प्राप्त हो सकती है.

    1. Ministry of New and Renewable Energy

    2. Ministry of Natural Gas & Oil, GOI

    3. Private Sector and Public Sector Oil and Gas companies.

 

  1. गौशाला की योजना से समावेशी एवँ सतत उपलब्धियाँ निम्नानुसार हो सकतीँ हैँ.

 

  1. Green and Sustainable Energy for Electricity Generation

  2. Organic Manure for bringing land under Organic Farming to get Chemical Free Food Crops.

  3. Women Empowerment – Gender Equality

  4. Income generation to small, Marginal and Landless Labours.

  5. Contribution towards Double the Income of Agriculture Sector.

  6. Enhance contribution of Agriculture Sector in GDP.

  7. Milk production and income of Village Gopalak will boost after 3-5 years by improvement of local unidendified breed into High yielding indigenous breeds, जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर.

  8. Employment generation by deploying Staff in Gaushala.

    • Skilled Staff

    • Unskilled Labour

  9. Participation of village community to use the local resources and issues in organised and peaceful manner.

  10. The SDGs are covered as under.

 

SDG-1: गरीबी के सभी स्वरूपोँ की पूरे विश्व से समाप्ति.

SDG-2: सतत कृषि को बढावा देना, भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा एवँ बेहतर पोषण हासिल करना.

SDG-3: उत्तम स्वास्थ एवँ स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना.

SDG-5: लैंगिक समानता – महिलाओँ एवँ युवतियोँ के सशक्तिकरण से लैँगिक समानता हासिल करना.

SDG-7: अक्षय ऊर्जा – सभी लोगोँ के लिये सस्ती, विश्वसनीय टिकाऊ और अक्षय ऊर्जा तक पहुंच को सुनिश्चित करना..

SDG-8: अच्छी नौकरी एवँ आर्थिक वृद्धि – सभी लोगोँ के लिये अनवरत, समावेशी और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि पूर्ण एवँ उत्पादक रोजगार तथा उत्तम कार्य को बढावा देना.

 

उपरोक्त बिंदुओँ पर चर्चा कर एक निश्चित उद्देश्य के साथ निर्देश एवँ मार्गदर्शिका तय की जा सकती है.

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